केंद्रीय कर्मचारी,  जवान,  पेंशन भोगी के लिए कोर्ट का एक जबरदस्त फैसला आया है ।  सभी पेंशन बोगियों के लिए यह फ़ैसला  वरदान साबित होने वाला है क्योंकि आज कल बहुत सारे केसेस ऐसे आ रहे हैं जहां पर ये फैसला इंप्लीमेंट होगा, जहां पर ये फैसला लागू होगा और इस फैसला के जरिये कोर्ट ने आदेश दिया है की यह जितने भी CPPC  हैं और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सभी को दी जाए ।  तो क्या है यह फैसला ? क्यों इतना इंपॉर्टेंट है ? 

बॉम्बे हाय कोर्ट की नागपुर बेंच का फैसला नागपुर बेंच की तरफ से यह वर्डिक्ट आया है और यह  कर्मचारियों के संदर्भ में है जो कर्मचारी पेंशन भोगी 1994 में यानी की फर्स्ट अक्टूबर 1994 में रिटायर्ड हुए उस समय उनकी जो बेसिक सैलरी होती थी वो होती थी 2675 और उनकी पेंशन फिक्स हुई थी बेसिक पेंशन 1334 में और उसके बाद इनका सिक्स्थ पे कमीशन आया  6th and 7th पे कमिशान  आया   इस तरीके से इनकी बेसिक पेंशन सेवेन्थ   पे कमिसन  में फिक्स हुई र 25634 और उसके बाद ये इनको पेंशन मिलने लगे ।

अब हुआ क्या दोस्तों इनके पास 369135 का ओवर पेमेंट हो गया और  बैंक ने रिकवरी  शुरू कर दी बिना इनको कुछ भी बताए ।    हुए इनकी पेंशन से 1/3 हिस्सा यानी 11400 हर महीने काटना शुरू कर दिया बैंक ने और बैंक वो कंटिन्यू रिकवरी इसे करते रहे और ये एक अगस्त 2019 को शुरू हुई जब इन्होंने बैंक से जानने  की कोशिश की कोई संतोषजनक आंसर नहीं मिला तो इन्होंने सितंबर महीने में बैंक से आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की किस तरीके से इनकी पेंशन कट रही है । 

उनको पता चला, बैंक की तरफ से बताया गया की उन्होंने ओवर पेमेंट हो गया उनके अकाउंट में अतिरिक्त पेंशन चला गया है इसलिए उनके खाता से यह पैसा काटा जा रहा है वो रिकवरी के लिए ।  और इन्होंने इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया  है ।  जब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो वहां पर जाने  के बाद असली  चीज निकाल कर सामने आएं उसमें कुछ ऐसे जानकारी निकाल कर आए जो पेंशन भोगी  को पता नहीं और पेंशन भोगी का उससे कुछ लेना देना भी नहीं । 

जो खामियां थी गलतियां थी वो सब बैंक की थी बैंक ने ही इनकी पेंशन चालू किया था पि पि ओ  के हिसाब से की लेकिन कहानी पर वह करवाई करते समय अब इनको जैसा की मैं यहां बताता हूं क्योंकि यह पेंशनर्स थे लेकिन जब इनकी पेंशन फिक्स की छटे  पे कमीशन (सिक्सथ  सेपीसी) के तहत तो उनकी पेंशन बन रही थी 9102 रुपया अब इनको 9102 रुपए की जगह इनकी पेंशन ₹9974 फिक्स कर दी  और इस तरह से इनको 872 रुपया  हर महिना अतिरिक्त पेनसोन   मिलने लगे जबकि यह जानकारी पेंशनर्स को नहीं थी ।  यानी पेटीशनर को नहीं थी क्योंकि उनके पास तो उनका जो पी पि ओ  आया उसकी कॉपी बैंक में जाति है और  पेंसन फिक्स बैंक करता है।  

बैंक के तरफ से  इनकी पेंशन शुरू हो गई अब ये उसे तरीके से पेंशन लेते रहे अब हुआ क्या इसके बाद जब सातवां वेतन आयोग लगा और उस समय फर्स्ट जनवरी 2016 से जो इनकी पेंशन कैलकुलेशन करके बनी 25634 ।  लेकिन सातवें वेतन आयोग में जब इनकी पेंशन रिवाइव्ड हुई तो वहां पर इनकी पेंशन 25634 की जगह पर बनी 25250 तो इस तरीके से इनकी पेंशन जब यहां पर  काम बनी  तो फिर इसको देखा गया की इनकी पेंशन आखिर ऐसे गड़बड़ हुई क्यों तो पाया गया की जो इनको पेंशन ₹9102 छटे वेतन आयोग में मिलनी चाहिए थी वहां पर इनको ₹9974 मिली तो इस तरीके से इनको हर महीने वहां पर जो 872  अतिरिक्त पेंसन देते रहे ।  

 अब नक् बिलकुल शुरुआत से पुरे पेंशन को कैलकुलेट किया तो जो भी एक्स्ट्रा अमाउंट पेंशन कहते में पे किया था बाह इंटरेस्ट के साथ रिकवरी  शुरू किया 

हिसाब जोर के दिखा गया की 369135 रुपया ओवर पेमेंट का हिस्सा बनके बैंक ने इसे रिकवरी करना शुरू कर दिया और यह रिकवरी करते-करते बैंक ने इसे बहुत सारा रिकवरी कर ली और  जब इनको पता लगा तो कोर्ट में गए ।  

कोर्ट में दोनों तरफ की दलीलें सनी गई सारे दस्तावेज चेक किया गए और जो भी फैक्ट्स है,  एविडेंस जब क्लियर हो गई तो उस समय कोर्ट की तरफ से जो फैसला सुनाया गया वह बहुत इंपॉर्टेंट है ।  

इस फैसला का पांच पॉइंट है और बाह इस प्रकार है

पहले पॉइंट –  बैंक उनका पेंसन से 11400  रुपया हर महीना रिकवरी काट रहे थे जो के कोर्ट सबसे पहले  इसको स्टॉप करने  निर्देश दिया 

आदेश नंबर दो  – जो बैंक ने पेंशनर से रिकवरी की है  पूरा अमाउंट 18% के इंटरेस्ट के पेंसनर  के पेंशन अकाउंट में जमा किया जाए  

तीसरी पॉइंट में क्या कहा जो भी उससे रिकवरी हो रही है तुरंत उसको रॉक जाए और आगे इस सन्दर्भ में कोई रिकवरी नहीं होगी 

चौथ पॉइंट में उन्होंने कहा है रेस्पोंडेंट नंबर थ्री यानी बैंक ₹50000 आपने कंपनसेशन के रूप में पेटीशनर को पेमेंट करना है –  कंपनसेशन देना है क्यूंकि उसका कोर्ट केस में खर्चा हुआ है उसको तकलीफें हुई हैं और क्या कहा की अगर आपने ये जो पेमेंट है ये जो अमाउंट है जो बताया गया है अगर 8 दिन के अंदर अंदर नहीं किया तो आपको ₹1000 प्रादि दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा यानी आप जितना भी दिन के बाद पेमेंट करोगे उसमें उतने दिन का 1000 रुपया के हिसाब से एड करके पेमेंट करोगे 

5 में पॉइंट में बताएं की जो वर्डिक्ट है कोर्ट की तरफ से जो फैसला दिया गया है उसकी रजिस्ट्री करी जाए उस फैसला की कॉपी किसको रजिस्ट्री की जाए जितने भी CPPC  हैं उन सबको , आरबीआई को ,  बैंक को ताकि जो पेंशनर्स है उनको रिस्पेक्ट मिले उनकी डिग्निटी मेंटेन हो । बैंक के अंदर जितने भी पेंशन अकाउंट होल्डर है जितने पेंशनर्स हैं उन सब की इस तरह से ख्याल रखा जाए

पांच ऐसी कंडीशन है की उन कंडीशंस को मानते हुए बैंक आपसे रिकवरी नहीं कर सकता और यहां पर जो रिकवरी की उसको रिफंड करने के लिए इंटरेस्ट के साथ कोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया है । 

लेकिन इसके बावजूद आम तोर पे देखा गया की बहुत सरे पेंशनर्स से एक्सेस पेमेंट के नाम पे उनसे भरी रकम रिकवरी की जा रही है । बैंक एक कंसेंट सिग्नेचर करवा लेते है और कंसेंट बड़े ही चालाकी से ले लेते है और बाद में पेंशनर्स को पता चलता है की है की ये गलत हो गया । 

इसलिए आप सावधान रहे इन सब चीजों को जाने अपने साथियों के साथ शेयर करें । यह जानकारी होनी चाहिए ताकि कोई किसी पेंशनर्स के साथ बैंक या कोई और डिपार्मेंट चीटिंग ना करें । उनके साथ धोखा ना हो